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ये तो यादों का इक लम्हा है जिसको मैंने खो दिया
अब न याद रहा कुछ भी किस ने किस को क्या दिया
वो इस जिंदगी का बहार था जो इक खिजां में उजड़ गया
मैं अपनी राह पे चल दिया वो भी अपनी राह चला गया
अब गिला करें भी तो क्या करें कोई सुनने वाला नहीं
अब न याद रहा कुछ भी किस ने किस को क्या दिया
वो इस जिंदगी का बहार था जो इक खिजां में उजड़ गया
मैं अपनी राह पे चल दिया वो भी अपनी राह चला गया
अब गिला करें भी तो क्या करें कोई सुनने वाला नहीं
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