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"चूल्हे में रोटी" बनाती हुई #औरतें
अक्सर जला देती हैं अपने "सपनों" को
जो कभी वो देखा करती थी,
मन के उद्गार से निकले
#आँसुओं से "आटा गूँथकर"
रोटी बना परोस देती हैं परिवार की थाली में
इस तरह अधिकांश औरतें तापती रहती हैं अपने "सपनों" को
जिसका जिम्मेदार उनके साथ साथ
हमारा #समाज भी है
#सुप्रभात
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