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ताउम्र जवानी गुजारने के बाद...
कह दिया अब कोई मतलब नहीं...
आहें भी तोह भर-भर के निकली...
सुनने वाले ने कहा सुना ही नहीं...
जो भी था ले तोह गया वो मेरा...
अब जताने को अफ़सोस भी नहीं...
फर्क क्या ही पड़ेगा तेरे होने न होने से...
एक किनारा जो कभी मिला ही नहीं...
ये मेरी जिम्मेदारियाँ जरा हावी हैं आजकल...
वरना बर्बादी के किस्से तुझे मालूम ही नहीं...
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