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महफिल दोस्ती की

VinodVinod April 11, 2023
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चलो एक बार फिर
महफिल दोस्ती की सजाते हैं
कुछ उनकी बीती सुनते हैं
कुछ अपनी बीती सुनाते हैं ।


दोस्त ही तो हैं जो कभी बड़े नही होते
कद और पद सामने खड़े नहीं होते
आज के दौर में वरना झुकता कौन है
दौड़ती जिंदगी में दो पल रुकता कौन है।


ये वो पागल हैं
जो वक्त को भी थाम देते हैं
हर गम को उड़ा दें हंसी के ठिटोलो में
जिंदगी को एक नया आयाम देते हैं ।


जमाना बदल गया यूं तो
पर ये दोस्त बदलते नहीं
रंग बदला है बालों का
चेहरे पर हल्की झुरियां
तेज दौड़ रूठकर भागती जवानी को
ये दोस्त ही तो हैं जो बांध लेते हैं ।


मिलना हो न हो सालों साल
तो क्या हुआ
दोस्त होते हैं दिल के बादशाह
मन ही मन मुस्काते हैं
दौड़कर गले लगाते हैं ।


दोस्त ही तो हैं जो कभी बड़े नहीं होते
कद और पद सामने खड़े नहीं होते
आज के दौर में वरना झुकता कौन है
दौड़ती जिंदगी में दो पल रुकता कौन है ।


डॉ.विनोद कुमार
दिनांक : 28/8/2022








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