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एक मेज़ की तलब है इंतज़ार के लिए
गुजरी है इक उम्र उनके दीदार के लिए
मुमक़िन है थाह लें औकात आज अपनी
लेकर दिल हम पहुँचे हैं व्यापार के लिए
इस मुसाफ़िर को भी कोई मंज़िल मिल जाए
हम फूल ख़रीद लाए हैं इज़हार
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