Share0 Bookmarks 209513 Reads2 Likes
फिर उसी राह से पुकारे गए हैं हम
ख़ुद की नज़रों से उतारे गए हैं हम
ख़ून से लिखा था ख़त महबूब को
और फिर दो भाग में फाड़े गए हैं हम
मुमक़िन है वो अंजान रहे लाश से मेरी
No posts
No posts
No posts
No posts
फिर उसी राह से पुकारे गए हैं हम
ख़ुद की नज़रों से उतारे गए हैं हम
ख़ून से लिखा था ख़त महबूब को
और फिर दो भाग में फाड़े गए हैं हम
मुमक़िन है वो अंजान रहे लाश से मेरी
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments