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January 16, 2022
किसी दिन (Vinit Singh Shayar, Vinit Singh's Shayari/Poetry)

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सरेआम हक़ उन पे जताना है किसी दिन
उनको यह बात बताना है किसी दिन
ऑंखों के इशारे तो हम ने देखे हैं बहुत
हिजाब चेहरे से हटाना है किसी दिन
"इक आप ही नहीं इस दिल में और भी हैं"
बात ये कह कह के सताना है किसी दिन
साँस ये रहती है जब तक आप ही के हैं
फिर हाथ छुड़ा कर चलें जाना है किसी दिन
कभी तो यूँ है कि आप खुद से भी अलग हुएँ
फिर साथ आपके जमाना है किसी दिन
मुफ़लिसी हमारी देख कर जो छोड़ गए हैं
वो लौट आए इतना कमाना है किसी दिन
~विनीत सिंह
Vinit Singh ShayarVinit Singh's Shayari/poetry
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