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बरसात की वो रात हमें याद नहीं है
आख़िरी मुलाक़ात हमें याद नहीं है
भीग रहें थे गले लग कर जहाँ हम दोनो
और फिर उसके बाद हमें याद नहीं है
हाथ उठाया था दुआ में अपनी ख़ातिर
काँपते होठों की फ़रि
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