
Share0 Bookmarks 26 Reads0 Likes
आँखों से अपनी यूँ ही शिकार कीजिए
हम गरीब लोग हैं हमें मार दीजिए
मरते हुए इंसान की ख़्वाइश है आख़िरी
इक बार लब से अपने पुकार दीजिए
आख़िरी सलाम में जलता हुआ ये ख़त
तोहफ़ा ये मुझे आप बार बार दीजिए
जीना हुआ मुश्किल उम्मीद के बगैर
आँखों को मेरी एक इंतज़ार दीजिए
किसी और से सही पर पूछा है मेरा हाल
परवर दिगार फिर मुझे बीमार कीजिए
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar
Love shayari
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments