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काँपते होठों की फ़रियाद याद करोगे
देख लेना तुम इक रोज हमें याद करोगे
जानते हैं तेरे छोड़ के जाने का सबब हम
इतना बता दो अब किसे बरबाद करोगे
याद आएंगे तुझको मेरे नगमे वो सारे
ग़ैरो के शेर पे जब जब इरशाद करोगे
जाने को जा रहे हो हमें छोड़ कर तो तुम
यादों से अपनी कब हमें आज़ाद करोगे
मेरे सामने जब मेरे ज़ख्मों पे ठहाका है
नम आँख किस तरह फिर मेरे बाद करोगे
~विनीत सिंह
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