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यकीन करना कितना मुश्किल होता है
कि महान शख्सियत कभी आम भी रही होगी
मेरी मां कभी बच्ची भी रही होगी
शहर बसने से पहले लहलहाते खेत रहे होंगे
पेड़ कभी छोटा
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