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मुझे पढ़ने से क्या होगा
तुझसे लड़ने से क्या होगा
पर, मैं फ़िर भी नहीं समझता कि
तुझसे मोहब्बत करने से क्या होगा
मैं करता हूं बार –बार तेरे मना करने के बाद
मुझे लगता है कि तुझको भी एक दिन होगा
तुझे याद करता रहता हूं रात भर
पर ये दिल नहीं समझता कि याद करने से क्या होगा
ये इश्क़ अब बेदम कर रहा है मुझे
पर ये इश्क भी नहीं समझता कि दम भरने से क्या होगा
दिल को सुकून नहीं मिलता बिना बात किए तुझसे
पर ये दिल नहीं समझता कि बिना बात किए क्या होगा ।
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