
Share0 Bookmarks 160 Reads0 Likes
जैसे कलम अनकहे एहसासों को चौराहे पर लाती है,
ना जुबान,ना आवाज फिर भी उधम मचाती है।
बिलकुल इसी तरह,
तेरा लहजा,तेरी बातें यू रूह तक जाती है,
ना चेहरा,ना मुस्कान,तेरी सादगी तो कहर मचाती है।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments