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मैं नारी हूँ

Vikash Kumar SinghVikash Kumar Singh March 28, 2023
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मैं नारी हू ....
मै भाग्य विधाता , जगत की जननी
सृष्टि की  कुमारी हू
मै नारी हू

अब हर पल आगे बढ़ना है , एक पल भी ना अब रुकना है
मै लड़ लू सारी दुनिया से, ना आगे किसी के झुकना h
जब झुक ही जाऊ, फिर कैसे ना कहूँ की हारी हू
मै नारी हू....

हुंकार भरू , जब काज करू, तांडव  संग साज करू
चुप रहना, ना सीखा मैंने, कर्मों से हर आवाज करू
जितनी कठोर उतनी ही कोमल, इस जग की मै प्यारी हू
मै नारी हू....

सहसा सर्व न्यौछावर कर , पल में लु मैं वो आदत डाल
शर्म हया और सहन की शक्ति, मुझमे बसती बनकर ढाल
वंचित कैसे रख दे कोई अब, आधा की मै अधिकारी हू
मै नारी हू..... 

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