Share0 Bookmarks 213133 Reads0 Likes
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते-अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ कालभैरवाय नम:। ॐ भयहरणं च भैरव:। ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।
विश्वास की डोरी टूटे न दरबार तुम्हारा छुटे न-चमत्कार कुछ ऐसा करो के बेटा तुझसे रूठे ना
तेरी मेरी प्रीत पुरनी याद है या फिर भूल चुके-या बाबा आँखों में तुम्हारे बन कर के शूल चुभे-तूने लिखी थी किस्मत जो किसी और के हाथो टूटे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments