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शनिदेव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः
ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा।' हनुमानजी के दर्शन सुलभ होते हैं,
“ गुरू बिनु ऐसी कौन करै-माला-तिलक मनोहर बाना,लै सिर छत्र धरै। भवसागर तै बूडत राखै, दीपक हाथ धरै-सूर स्याम गुरू ऐसौ समरथ, छिन मैं ले उधरे।
“ सूरदास जी कहते हैं कि चेलों पर गुरू के बिना ऐसी कृपा कौ
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