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देवगुरू बृहस्पति का पवित्र मंत्र:
ऊं अंशगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्।
हमारे निर्धन के धन राम-चोर न लेत, घटत नहि कबहूॅ, आवत गढैं काम।
जल नहिं बूडत, अगिनि न दाहत है ऐसौ हरि नाम-बैकुंठ नाम सकल सुख-दाता, सूरदास-सुख-धाम।। “
सूरदास जी कहते हैं कि राम गरीबों के धन हैं- राम के रूप में यह धन ऐसा है कि चोर इसे चुरा नहीं सकते, पैसा खर्
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