
।। ॐ हं हनुमते नम: ।।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
इतनी शक्ति हमें देना दाता-मनका विश्वास कमज़ोर हो ना
हम चलें नेक रास्ते पे हमसे-भूलकर भी कोई भूल हो ना...
हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है-सहमा-सहमा-सा हर आदमी है-पाप का बोझ बढ़ता ही जाये-जाने कैसे ये धरती थमी है-बोझ ममता का तू ये उठा ले-तेरी रचना क ये अन्त हो ना...हम चले...
दूर अज्ञान के हो अन्धेरे-तू हमें ज्ञान की रौशनी दे-हर बुराई से बच के रहें हम-जितनी भी दे,भली ज़िन्दगी दे-बैर हो ना किसीका किसी से-भावना मन में बदले की हो ना...हम चले...
हम न सोचें हमें क्या मिला है-हम ये सोचें किया क्या है अर्पण-फूल खुशियों के बाटें सभी को-सबका जीवन ही बन जाये मधुबनअपनी करुणा को जब तू बहा दे-कर दे पावन हर इक मन का कोना...हम चले...
हम अन्धेरे में हैं रौशनी दे-खो ना दे खुद को ही दुश्मनी से-हम सज़ा पाये अपने किये की-मौत भी हो तो सह ले खुशी से-कल जो गुज़रा है फिर से ना गुज़रे-आने वाला वो कल ऐसा हो ना...हम चले नेक रास्ते पे हमसे-भूल कर भी कोई भूल हो ना...
इतनी शक्ति हमें दे ना दाता-मनका विश्वास कमज़ोर हो ना...
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