
नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, असुर रक्तबीज का संहार करने के लिए कालरात्रि का जन्म हुआ था-संकटों से सुरक्षा प्रदान करती है मां कालरात्रि, कर्मों के शुभ फल देती हैं ।
मां कालरात्रि का स्वरूप तेज और यश से परिपूर्ण है। उनका स्वरूप बहुत भयंकर माना जाता है लेकिन उनका ह्रदय पुष्प के समान कोमल है। मां कालरात्रि मां दुर्गा का सातवां स्वरूप मानी गई हैं जिनकी पूजा नवरात्र के सातवें दिन यानी महासप्तमी पर होती है। मां कालरात्रि की शक्ति से भूत-प्रेत और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। पुराणों में मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहा गया है।
मां कालरात्रि के नाक से निकलने वाली आग की लपटें सबको राख कर देती हैं। गधे को मां कालरात्रि का सवारी कहा गया है। मां कालरात्रि के मंत्र इतने शक्तिशाली हैं कि जो भी भक्त उनके मंत्रों का जाप करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
मां कालरात्रि बीज मंत्र:
क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः।
कालरात्रि मंत्र (नवरात्री )
1. ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम।
त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।।
2. ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।
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