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शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र है -शनि देव को जज माना जाता है- मनुष्य के अछे बुरे काम का फल शनिदेव ही देते है-अपराध सहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया-दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर-गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च-आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय-
ज्योत से ज्योत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो-राह में आए जो दीन दुखी, सबको गले से लगाते चलो
जिसका न कोई संगी साथी ईश्वर है रखवाला-जो निर्धन है जो निर्बल है वह है प्रभू का प्यारा-प्यार के मोती लुटाते चलो, प्रेम की गंगा...
आशा टूटी ममता रूठी छूट गया है किनारा-बंद करो म
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