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ॐ गं हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा'-उच्छिष्ट गणपति का मंत्र तांत्रिक क्रियाओं से रक्षा करता है।
“मोहिं प्रभु तुमसों होड़ परी-ना जानौं करिहौ जु कहा तुम नागर नवल हरी॥
पतित समूहनि उद्धरिबै कों तुम अब जक पकरी-मैं तो राजिवनैननि दुरि गयो पाप पहार दरी॥
एक अधार साधु संगति कौ रचि पचि के संचरी-भ न सोचि सोचि जिय राखी अपनी धरनि धरी॥
मेरी मुकति बिचारत हौ प्रभु पूंछत पहर घरी-स्रम तैं तुम्हें पसीना ऐहैं कत यह जकनि करी॥
सूरदास बिनती
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