आओ मिलकर दीप जलाएं
अपने अंतर्मन में अलख जगाएं
बाहर की रौशनी तो बहुत हो चुकी
आत्मा को जाग्रत करने वाली लौ बनाएं
बाहर का दीपक एक प्रथा -दुनियादारी है
आंतरिक दीपक उस परब्रह्म तक जाने की तैयारी है
सकंल्प लेते हुए इस दीपक की अग्नि में पाँचों विकारों (काम -
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