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कोई ऐसा संकट जिससे आप उबर नहीं पा रहे हैं तो यह मंत्र सहारा हो सकता है:- 'ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।'
दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं.
जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माहिं.
कौआ और कोयल रंग में एक समान होते हैं- जब तक ये बोलते नहीं तब तक इनकी पहचान नहीं हो पाती,लेकिन जब वसंत ऋतु आती है तो कोयल की मधुर आवाज़ से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है.
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