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तुम्हारे गले का रुमाल

Vikas GondVikas Gond March 11, 2023
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तुम्हारे गले का रुमाल

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तुम्हारे गले का रुमाल

स्पर्श करता है तुम्हारी रेश्मी बालों को,


स्पर्श करता है गर्दन को

और खुशी से लहराने लगता है

हवा में


तेज धूप में जब निकलती गले में डाल कर

तुम्हारे गर्दन पर आती पसीने की बूंदे


रुमाल में सिमट कर अस्तित्वहीन हो जाती है


जब पिछली बार मिला था तुमसे

तुमनेे गले से रुमाल को उतार दिया


रख दिया मेरी हाथों में

और जाते समय कहा


ये स्मृति चिन्ह दे रहीं हूं तुम्हे

संभाल कर रखना जब तक हो सके


मै संभाल कर रखा हूं 

किसी गरीब की जमापूंजी की तरह


तुमने जब पोछा था अपनी गाढ़े लाल होठ की लिपस्टिक रूमाल से

उसकी रेसों में फस कर दम तोड़ दिया होगा


तुम्हारे रुमाल के रेसों ने सुनी होगी

तुम्हारे धड़कते दिल की धक धक


महसूस करता हूं रेसों के बीच गुम होती

धक धक की आवाज


बहुत तेज़ धड़क रहा 

जैसे पहली बार मिले थे तो महसूस किया था ठीक वैसे ही



तुम्हारे आंख का काजल

जब पसरने लगा होगा


तब कई बार मौका मिला होगा रुमाल को तुम्हारे आंखो को स्पर्श करने का


एक दिन जब तुम ब्याह दी जाओगी

अपने मर्जी के खिलाफ किसी अनजान व्यक्ति के साथ


तब मेरे पास बचा होगा तुम्हारा दिया हुआ रुमाल

और तुम्हारी तेज़ होती घबराई सांसों को गुम होते महसूस करने के अलवा मेरे पास कुछ नहीं होगा 


मै सोचता हूं और बरहां सोचता हूं,

मेरे पास तो तुम्हारा रूमाल है उस वक्त तुम्हारे पास क्या होगा 


विकास गोंड

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