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Romantic PoetryPoetry2 min read

तुम्हारे गले का रुमाल

Vikas GondVikas Gond November 20, 2022
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तुम्हारे गले का रुमाल

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तुम्हारे गले का रुमाल

स्पर्श करता है तुम्हारी रेश्मी बालों को,


स्पर्श करता है गर्दन को

और खुशी से लहराने लगता है

हवा में !


तेज धूप में जब निकलती हो गले में डालकर

तुम्हारे गर्दन पर आती पसीने की बूंदे


रुमाल में सिमट कर अस्तित्वहीन हो जाती है


जब पिछली बार मिला था तुमसे 

तुमनेे गले से रुमाल को उतार दिया,


रख दिया मेरी हाथों में 

और जाते समय कहा,


ये स्मृति चिन्ह दे रहीं हूं तुम्हे

संभाल कर रखना जब तक हो सके,


मै संभाल कर रखा हूं किसी गरीब की जमापूंजी की तरह।



तुमने जब पोछा था अपनी गाढ़े लाल होठ की लिपस्टिक रूमाल से 

उसकी रेसों में फस कर दम तोड़ दिया होगा,


तु

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