
ये शिलशिला रुक जायेगा एक दिन
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जो लंबे समय से चला आ रहा है
हमारे इश्क का शिलशीला
रुक जायेगा एक दिन
तुम्हे देख भर पाने की चाह में
जिंदा रहूंगा
एक उम्मीद के साथ ढूंढता रहूंगा हमेशा अतीत में
अपने हिस्से का बचा हुआ प्यार
जिसे तुमने रखा है सहेज कर मेरे लिए
ये वक्त तैयारियों का है
तुम्हे हमेशा के लिए
मुझसे दूर भेजने की तैयारी
एक घुटन भरी जिंदगी के शुरु होने की तैयारी
तुम्हारे हृदय में उमड़ते हुए प्रेम को
मार देने की तैयारी
तुम्हारी सारी भावनाओ को पैरों से कुचल देने की तैयारी
तुम्हारे मर्जी के खिलाफ़ ब्याह देने की तैयारी
इन तमाम तैयारियों को तोड़कर
मैं चला आऊंगा तुम्हारे गांव
वही मिलेंगे किसी गली में
और गले लगाकर शांत कर देना
मेरी तेज़ होती हुई घबराई सांसों को
मेरी दोस्त इनकी तैयारी है
उम्रभर के लिए तुम्हे
जुदा करने की मुझसे
तुम्हें व्याह देने की तैयारी
इसी जनवरी में
गणतंत्र दिवस के दिन
पूरा देश खुश होगा हमे छोड़कर
मेरी दोस्त इनकी सारी तैयारियां को
ध्वस्त कर दूंगा
तुम्हे और अधिक चाह कर
तुम्हारा प्रेम मेरी नसों में बहते रक्त के
समान है
मेरी आती जाती सांसे तुम्हारे होने का अहसास
करवाती रहेंगी ताउम्र
तुम्हें चाह पाने का शिलशिला रुक जायेगा
एक दिन
और इसका रुकना ऐतिहासिक सिद्ध होगा
उस रोज़ जब धमनियों में रक्त रुकने लगेगा
जब सांसे भार लगने लगेगी
जब बड़ी मुश्किल से आंख खुलेगी
उस रोज़ चाहूंगा
तुम्हारी गोद में सर रखकर
तुमसे अंतिम बिदा लेना
ये शिलशिल रुकेगा उस दिन।
©विकास गोंड
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