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न तुम रहे न नींद

Vikas GondVikas Gond February 26, 2023
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नींद

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नींद मुझे उतना ही पसंद करती थी

जितना कि तुम

नींद मुझे बचपन से ही पहचानती है

और शायद पहचानेगी उम्र भर

एक रिश्ता है मेरा नींद के साथ 

एक करार है आखिरी तक का

बचपन में नींद से खूब बनती थी

मैं नींद का सारा वक्त उसे ही देता था 

नींद मुझे पसंद करती थी 

प्यार करती थी मुझसे 

वक्त के साथ रिश्ते बनते बिगड़े रहें

नाराज़ हो जाती बात बात में अब तो 

और महीनो लग जाते है मनाने में

इस बार नींद ने मुझे बेवफा कह के छोड़ दिया है

इसके हिस्से का समय मैं तुम्हें देता रहा 

अब न तुम रहे न नींद।

©विकास गोंड

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