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मैं तुमसे प्यार करती हूं
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मैं तुमसे प्यार करती हूं
उस तरह नही
जैसे शिकारी करता है
अपने शिकार से
मछुआरा करता है
मछलियों से
उस तरह भी नहीं
जैसे हवा होती है बेचैन
किसी जलते हुए दिए को बुझाने के लिए
मेरी समूची देह
किसी और के पास है
उम्र भर के लिए
घर वालो ने गिरवी रख दी है
शादी के नाम पर
और यहां पर रोने पर भी पाबंदी है
किसी और बहाने से
जब मिलूंगी तुमसे तो बताउंगी
किसी कोने की तलाश में रहती हूं अक्सर
शायद मिल जाए कोई ऐसी जगह
जहां खुल के रो सकूं
तुम ये न समझना
मैं खुश हूं ,ऐश में हूं
शायद तुम्हे मालूम नहीं वो पीड़ा
जब किसी अनजान व्यक्ती के साथ बाटनी पड़ती हो अपनी पूरी देह
किसी का प्यार हृदय में लिए
किसी और के साथ सोने से बड़ी भयावह क्रिया
इस दुनियां में कुछ भी नहीं।
© विकास गोंड
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