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मैं चाहता हूं
तुम कभी ना आओ मेरे सपने में
मेरी सारी स्मृतियां नष्ट हो जाए
तुम फिर कभी न आना मेरे पास
वो तुम्हारी आवाज़
जिसे सुनकर खुश जाता था
अपनी आवाज़ कभी ना सुनाना
मैंने अनुभव किया है
तुम्हारा सपना आने के बाद
मैं तुम्हे आस पास खोजता हूं
जैसे छोटे बच्चे
सपने में पाए पैसे को
बिस्तर पर बड़ी बेचैनी से खोजते है
तुम्हारे याद आने के बाद लगता है
जैसे मस्तिस्क का कोई हिस्सा
सिथिल पड़ गया हो
धमनियों में रक्त अब
थक्का बन चुका हो
हृदय अब साथ छोड़ने देने की
आग्रह में लगा हो
एक अजीब दर्द है
हर सांस के साथ
मेरे अंदर आ जाता है
और रक्त में सामिल हो कर
सर से पाव तक
अपनी आगोश में ले लेता है
मैं एक लड़की को जनता हूं
जिसने अपनी मां के सर की कसम को
तोड़कर बात की थी
तुम्हे भी एक बार
उससे मिल लेना चहिए।
©विकास गोंड
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