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आज़ाद पार्क में एक दिन
तुम्हारे साथ बैठे देख रहा था
तुम्हारे कान में लटकते झुमके को,
मार्च महीने की धूप की किरण से चमकता
हुआ झुमका आकर्षित कर रहा
जैसे गुलाब की पंखुड़ी पर गिरी हुई ओश की बूंद चमकती है धूप पड़ने पर
ऐसे क्षणों तस्वीरें लेना मुझे
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