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आज़ाद पार्क में एक दिन
तुम्हारे साथ बैठे देख रहा था
तुम्हारे कान में लटकते झुमके को,
मार्च महीने की धूप की किरण से चमकता
हुआ झुमका आकर्षित कर रहा
जैसे गुलाब की पंखुड़ी पर गिरी हुई ओश की बूंद चमकती है धूप पड़ने पर
ऐसे क्षणों तस्वीरें लेना मुझे बहुत पसंद है
तस्वीरें ज़िंदा रखती है हमारे अतीत को
ऐसा अतीत जो बीत चुका हो
जो हमारे स्मृतियों में बचा है
और रहेगा उम्रभर
लॉर्ड कर्जन ब्रिज पर खड़ा होकर
नदी में डूबते सूरज को
कई बार हमने बिदा किया है एक साथ,
© विकास गोंड
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