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इंसान प्रैक्टिकल होते हैं
और रिश्ते नाज़ुक, भावुक
इंसान बस समझते हैं
इंसानों की बोली, और आहट
रिश्ते पहचानते हैं जज़्बात
दिल की बातें आँखों से देख लेते हैं
चुपके चुपके ज़िन्दगी में जगह बनाते
रिश्ते रिश्तों को बख़ूबी सहेज लेते है
रिश्ते समझ जाते हैं
मौसमों का बदलना
परिंदों का चहकना
बारिश और बूँदों के आलाप
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