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चुपचाप रहे ख़ामोश ख़ामोश
एक बार ज़रा कह के तो देखते
दर बदर की खा रहे हैं ठोकरें वो
मेरे दिल में ज़रा रह के तो देखते
सब ग़म भूला सकता था उनको
मेरी आँखों से ज़रा बह के तो देखते
क्या हुआ साथ कुछ भी तो नहीं
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