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हो रही घुटन मुझे यहाँ रहने में, मैं यहाँ पल पल मरने लगा हूँ

Vikas BansalVikas Bansal September 12, 2022
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हो रही घुटन मुझे यहाँ रहने में, मैं यहाँ पल पल मरने लगा हूँ 

कब किसी बात पर मार दिया जाऊँ मैं भीड़ से डरने लगा हूँ 


भीड़ तो भीड़ है न कोई मज़हब, न कोई जात इसकी होती 

मैं कभी बनना नहीं चाहता इसका हिस्सा, मैं भीड़ से बचने लगा हूँ 


भीड़ हमेशा उग्र ही होती क्यों कभी यहाँ भीड़ शांत नहीं होती 

भीड़ की ग़लती कोई सज़ा नहीं यहाँ ये बात मैं समझने लगा हूँ 


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