सारे दिन मूर्खों के, और ये सच्चाई है...  ज़माना है होशियार तो मूर्खता में भलाई है's image
Fools DayPoetry3 min read

सारे दिन मूर्खों के, और ये सच्चाई है... ज़माना है होशियार तो मूर्खता में भलाई है

Vikas BansalVikas Bansal April 1, 2022
Share0 Bookmarks 48331 Reads0 Likes

सारे दिन मूर्खों के, और ये सच्चाई है 

ज़माना है होशियार तो मूर्खता में भलाई है। 

आग लगती जब बुद्धिमान के दिमाग़ की बस्ती में

मूर्ख रहता मस्त बस अपनी ही मस्ती में, 

ये संसार तो बस मूर्खों से सजा है 

सबसे बड़ा मूर्ख जिसने खेल रचा है। 

क्या जल गया, क्या बचा है,

सच में मूर्खता में बड़ा मज़ा है।

बुद्धिमान अपनी मूर्खता छुपा लेता है, 

इसलिये वो मूर्ख नहीं कहलाता

मूर्ख, मूर्ख है क्योंकि वो छुपा नहीं पाता।

मूर्ख, मूर्ख है और सब ये जानते हैं,

बुद्धिमान को भी कहाँ वो बुद्धिमान मानते हैं।

मूर्ख अपनी मूर्खता पर कभी नहीं हँसता,

पर वो ज़माने को हँसा जाता है 

ज़िन्दगी जीने का सलीक़ा सिखा जाता है।

बुद्धिमान बस मैं मैं में रहता है,

उसे कोई नहीं समझता कुछ 

वो चीख़ चीख़ कर कहता है।

और न हो मूर्ख तो बुद्धिमान की पहचान कैसे हो,

मूर्ख तो मूर्ख है चाहे ऐसे हो या वैसे

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts