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कविता:->निर्जीव  की वाणी

mayank chaturvedimayank chaturvedi February 4, 2023
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हर निर्जीव कुछ कहता है|
जरा उसकी भी सुनो|
वह कहता मेरा भी प्रयोग करो|
अपने आवशयक्तानुसार मेरा उपयोग करो|
हर निर्जीव को चलने का मौका दो|
मुझ से तुम सुख आंनद लो|
मुझको तुम अच्छे से रखो| 
मेरी हानी का गम न करो| 
मुझे व्यर्थ फालतु तुम न करो| 

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