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हर निर्जीव कुछ कहता है|
जरा उसकी भी सुनो|
वह कहता मेरा भी प्रयोग करो|
अपने आवशयक्तानुसार मेरा उपयोग करो|
हर निर्जीव को चलने का मौका दो|
मुझ से तुम सुख आंनद लो|
मुझको तुम अच्छे से रखो|
मेरी हानी का गम न करो|
मुझे व्यर्थ फालतु तुम न करो|
मुझे समय पर तुम प्रयोग करो|
मुझ पर अभिमान न करो|
मुझे दूर गन्ध मै न फैको|
मेरा बार-बार उपयोग करो|
अब तुम सुख आंनद लो|
कवि:->मयंक चतुर्वेदी
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