
1 Bookmarks 62 Reads1 Likes
मेरा राम अलग , मेरी राह अलग ,
मेरा काम अलग , मेरी चाह अलग ,
बस उसके मन की हो जाये,
चाहे घाम रहे, चाहे छाव रहे,
बस मनमोहन की हो जाये,
मन चोट लगे या घाव रहे,
मेरा राम अलग , मेरी राह अलग ,
मेरा काम अलग , मेरी चाह अलग ,
तू दर दर के यूँ पिस्ता है,
न गेहूँ तू, ना है तू चना,
हर घाव से पानी रिसता है,
जाने किस माटी से तू बना,
मेरा राम अलग , मेरी राह अलग ,
मेरा काम अलग , मेरी चाह अलग ,
ना धन की रही , ना तन की रही , <
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments