सुस्ताने लगे हैं लम्हें....'s image
Poetry1 min read

सुस्ताने लगे हैं लम्हें....

vijay ranavijay rana February 2, 2022
Share1 Bookmarks 48543 Reads3 Likes

सरपट भागते वो लम्हे

थम से गए हैं कहीं

अपनी उखड़ी सांसों को समेटते

गुनगुनी धूप में बैठे

सुस्ताने से लगे हैं कहीं 


रात दिन सुबह शाम

जो गुत्थम गुत्था से रहते थे

कोई भी कभी भी

बिन बुलाए आ जाते थे

रूठे रूठे से अब दूर दूर बैठे हैं

सुबह आती है तो 

जिद्दी बच्चे सी पसर जाती है

बिन बुलाए अब 

दिन भी पास नहीं आता

शाम भी बहुत देर तक ठहरती है अब

रात भी देर देर तक सोती ही नहीं


सपने जो आते थे रह रह कर,

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts