Priceless platinum's image
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गुजर गए हैं ज़माने मगर,ताजा हैं वो यादें आज भी

शर्म कांधे पर लपेटे सबका बाथरूम में आना याद है


फ्रंट रोल की चोटें और घर की चिट्ठियों का मरहम

वो चोटें भूल गए मगर,वो चिट्ठियों का मरहम याद है


देर रात का वो फाल इन और परेड की पसीने की महक

थोड़ा टेढ़ा सा,मगर वो कड़क चक्रवर्ती  अभी तक याद है


ब्रेक में आलू के बौंडे,और थकी सी चाय की चुस्कियां<

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