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मुझको दिए की सी नीयत देना मेरे ख़ुदा
महल हो या झोपड़ी हो,रोशनी में फ़र्क न हो ।।
मुझे शोहरत भी देना, तो उतनी ही देना तुम
जितने में मेरे अपने,मुझसे कभी ज़ुदा न हों ।।
ऐ खुदा हमेशा ऐसी इनायत रखना मुझ पर
दोस्त बेशुमार हों,फितरत में नफरत न हो ।।
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