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कभी ताज बने मोहब्बत में
कभी ताज छूटे मोहब्बत में
कभी किस्से मशहूर हो गए
कभी मजबूर हुऐ मोहब्बत में
कभी राख से उभरी मोहब्बत
कभी राख हो गए मोहब्बत में
कभी आग का दरिया बनी वो
कभी आग बुझाई मोहब्बत ने
कभी राह दिखाई मोहब्बत ने
कभी राहें गुम गईं मोहब्बत में
कभी मंजिल बन गई मोहब्बत
कभी मंजिलें गुमी मोहब्बत में
मोहब्बत अपनी इंतहा है खुद
मोहब्बत ईक इम्तिहां है खुद में
हर पल हसरतों की भीड़ में गुम
मोहब्बत बस तनहाई है खुद में
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