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कोई ऐसा अचरज हो जाए
दिए में अब सूरज ढल जाए
हर शाम ढले, वही शमा जले
जो अब न जलाए परवानों को
उनको बस उनकी राह दिखाए
दिए में अब सूरज ढल जाए
कोई ऐसा अचरज हो जाए
कोई न डरे अंधियारों से अब
चिराग जलें और रोशन हों
सब अंधियारी गलियों के साए
दिए में अब सूरज ढल जाए
कोई ऐसा अचरज हो जाए
छोटी बड़ी सारी उम्मीदें
जगमग तारों को छू जाएं
चांद भी अब सोने न पाए
दिए में अब सूरज ढल जाए
कोई ऐसा अचरज हो जाए
चिंगारी को भी कोई हवा दे
वो भी अपना दमखम दिखलाये।
कुछ वो भी रोशन कर जाए।
दिए में अब सूरज ढल जाए
कोई ऐसा अचरज हो जाए
हर शक्श उभारे हिम्मत अपनी
अंधियारों से अपने भिड़ जाए
रोशन खुद की दुनिया कर जाए
दिए में अब सूरज ढल जाए
कोई ऐसा अचरज हो जाए
दिए में अब सूरज ढल जाए
Wandering Gypsy_rns
20 Jan 22
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