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Koi eisa achraj ho jaaye...

vijay ranavijay rana March 3, 2022
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कोई ऐसा अचरज हो जाए

दिए में अब सूरज ढल जाए


हर शाम ढले, वही शमा जले

जो अब न जलाए परवानों को

उनको बस उनकी राह दिखाए

दिए में अब सूरज ढल जाए


कोई ऐसा अचरज हो जाए


कोई न डरे अंधियारों से अब 

चिराग जलें और रोशन हों

सब अंधियारी गलियों के साए

दिए में अब सूरज ढल जाए


कोई ऐसा अचरज हो जाए


छोटी बड़ी सारी उम्मीदें 

जगमग तारों को छू जाएं

चांद भी अब सोने न पाए

दिए में अब सूरज ढल जाए


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