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वो पूछते हैं गीतों में सब दर्द कहाँ से लाता हूँ
कैसे उन्हें बताऊं उनका ही दर्द उन्हें सुनाता हूँ
उनसे चुराए लम्हों से कोई नज़्म बना लेता हूँँ मैं
उनके तमाम गम थोड़ी खुशियों में पिरो देता हूं
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