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जिंदगी की कश्मकश...

vijay ranavijay rana January 4, 2022
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जिंदगी की कश्मकश बहुत संगदिल है ज़नाब
प्यार और दुश्मनी में थोड़ा ही फासला है यहां

जिंदगी के सौदे यहां मुश्किल भी हैं महंगे भी
दरिया ए गम में डूबकर ही मिलती हैं खुशियां यहां

पलक झपकते हवाएं बदल देती हैं रुख अपना 
प्यार यूं ही चुटकियों में बीमार हो जाते हैं यहां

जुनूने इश्क़ आज का ,कल कब दुस्वार हो जाए
किसीको कानों कान भी खबर नहीं लगती यहां

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