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जिंदगी कभी कहकहे तो कभी दर्द सी
चटक रंगों सी कभी तो कभी जर्द सी
कभी खुद में सिमटती मासूम प्यार सी
बिखर जाती है फिज़ा में कभी गर्द सी
पल पल में बदलती है अपने मिजाज़
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