
Share0 Bookmarks 196 Reads0 Likes
अब छाया बनकर न रहो तुम
अब खुद अपनी पहचान बनो
अबला अब कोई कह न सके
अब तुम इतनी बलवान बनो
डगर भले मुश्किल हो मगर
तुम अपना अभिमान बनो
सपने फैलाओ आसमां भर
तुम स्वयं में स्वाभिमान बनो
wandering_ gypsy_rns
घर की लाज रहो बेशक पर
घर का भी तुम सम्मान बनो
कुछ गुण सीता के,कुछ दुर्गा के
ऐसी तुम अब गुणवान बनो
कुछ यश लेना मां लक्ष्मी से
कुछ विद्या सरस्वती मां से
प्रेम पार्वती मां से लेकर
तुम स्वयं में ही संज्ञान बनो
विद्या, बुद्धि, साहस,स्नेह
सारा ये धन संजोना तुम
थको न बांटते धन अपना
अब ऐसी तुम धनवान बनो
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments