
Share1 Bookmarks 53 Reads1 Likes
ये
जो इस तरह से तुम हर महफिल मे सब से किनारा कर लेते हो
कौन सी यादों का जाम है वो
जिसे तुम अपना सहारा कर लेते हो
बड़े ही खोए से लगते हो
अपनी ही किसी दुनिया मे
होश सम्हालते ही असल दुनिया मे खुद को आवारा कर लेते हो ..
ना जिक्र करते हो ना जाहिर करते हो अपने जज्बातों को
सबसे किनारा कर के बस एक इशारा कर देते हो
जो समझ पाये जरा भी वो ही जान पाए तुम्हें
जो ना समझे तो अक्सर उस महफिल से तुम किनारा कर लेते हो|
-विजय बिष्ट
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