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वो मेरा नहीं...पराया था
जिसे मैंने....अपना समझ लिया था
सोचा था
संजो कर रखूंगी उसे
सम्भाल कर रखूंगी
दुःख दर्द का एहसास ना होने दूंगी
पर वो मेरा नहीं,,, पराया था
जिसे मैंने....अपना समझ लिया था
आंचल से अपने... छांव मैं कर दूंगी
धूप में उसे तपने ना दूंगी
जो आया तूफ़ान गर
उसका हाथ ना छोड़ूंगी
जिसे मैंने....अपना समझ लिया था
सोचा था
संजो कर रखूंगी उसे
सम्भाल कर रखूंगी
दुःख दर्द का एहसास ना होने दूंगी
पर वो मेरा नहीं,,, पराया था
जिसे मैंने....अपना समझ लिया था
आंचल से अपने... छांव मैं कर दूंगी
धूप में उसे तपने ना दूंगी
जो आया तूफ़ान गर
उसका हाथ ना छोड़ूंगी
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