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मैं अब तुम्हें अपनी,,,, मोहब्बत का
नाम ना दूंगी
कहां था प्यार तुम्हें
कहां थी अहमियत मेरी
मिटने गए सारे फ़साने
मीट गई सारी चाहते मेरी
नाम ना दूंगी
कहां था प्यार तुम्हें
कहां थी अहमियत मेरी
मिटने गए सारे फ़साने
मीट गई सारी चाहते मेरी
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