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हाल ए दिल कभी समझ पाते,
हमारी खता मोहब्बत थी
काश हम भी जमाने मे कुछ कह पाते
गलती हमारी इबादत थी।
हमारी खामोशी की आवाज़
काश आप भी सुन पाते
हर शाम बेचैनी मायूसी की कसक
काश हम भी कभी मिल पाते।
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